रामलखन शुक्ला — प्रभाग 11 भायंदर: “हर घर में शौचालय” की युक्तिवादित और सरकारी समन्वित योजना
प्रभाग 11, भायंदर के जीवन स्तर में सुधार के लिए रामलखन शुक्ला की प्राथमिकताओं में एक बड़ा लक्ष्य है — हर घर तक स्वच्छता : हर घर में सुरक्षित एवं प्रयोग योग्य शौचालय। यह लक्ष्य न सिर्फ सामाजिक सम्मान और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, बल्कि सरकार की राष्ट्रीय योजनाओं और नगर निकाय के संसाधनों के साथ समन्वय कर पूरा किया जा सकता है। नीचे चरण-दर-चरण रणनीति दी जा रही है — जिसमें सरकारी योजनाओं, स्थानीय व्यवस्था और समाज-जन भागीदारी को जोड़कर वास्तविक-नतीजे लाने पर ध्यान है।
1) सर्वे और आवश्यकताएँ तय करना (Baseline survey)
पहला कदम होगा प्रभाग-स्तर पर एक विस्तृत सर्वे: कितने घरों में शौचालय नहीं हैं, मौजूदा टाइप (सैनेटरी/इंसैनेट्री), जमीन/प्लम्बिंग की स्थिति, और किस घर को सरकारी सब्सिडी/अनुदान चाहिए। इस सर्वे में प्रत्येक घर का विवरण, फोटो और लोकेशन (geo-tagged) रिकॉर्ड किया जाएगा — ताकि बाद में निर्माण के सत्यापन और फंड रिलीज़ प्रकिया में पारदर्शिता बनी रहे। (SBM दिशानिर्देशों के अनुसार geo-tagged फोटो/लोकेशन आवश्यक है)।
2) सरकारी योजनाओं से फंड और सब्सिडी जोड़ना
केंद्र और राज्य की स्वच्छता/जल योजनाएँ (Swachh Bharat Mission — शहरी/ग्रामीण, तथा संबंधित नगरीय परियोजनाएँ) घर-घर शौचालय निर्माण के लिए तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय सहायताएँ देती हैं। रामलखन शुक्ला राज्य/नगरपालिका अधिकारियों के साथ मिलकर योग्य घरों के लिए उपलब्ध आय-आधारित अनुदान, शहरी/ग्रामीण IHHL (Individual Household Latrine) सब्सिडी और नगर निगम की अतिरिक्त सहायता का आवेदन कराएंगे। इसके अलावा यदि किसी परिवार को स्वयं के हिस्से का अतिरिक्त आर्थिक सहारा चाहिए तो नगर निकाय/NGO-सहायता से टॉप-अप योजनाएँ लागू की जा सकती हैं।
3) तकनीकी डिजाइन और पानी-निकासी से संगतता
हर घर के लिए उपयुक्त टॉयलेट डिज़ाइन अलग-अलग हो सकता है — कम जगह वाले घरों के लिए कम्पैक्ट इकाइयाँ, जैव-ट्रीटमेंट/सेप्टिक-टैंक्स के साथ जोड़कर सीवेज-रहित प्रभागों में उपयुक्त समाधान। यह जरूरी है कि शौचालय के साथ पानी की उपलब्धता और सीवेज/नालियों की व्यवस्था पर काम हो — जहाँ पाइपलाइन/हाउस कनेक्शन की कमी हो, वहाँ जल प्रदाय योजनाओं (जैसे Jal Jeevan Mission के उपयुक्त घटक) के साथ समन्वय जरूरी है ताकि शौचालय प्रयोग-योग्य बने। jaljeevanmission.gov.in+1
4) निर्माण — स्थानीय कारीगर प्रशिक्षण और रोजगार सृजन
स्थानीय दर्जियों/मिस्त्री/मेसन को प्रशिक्षण देकर शौचालय निर्माण का काम स्थानीय स्तर पर कराया जाएगा। इससे लागत घटेगी, काम की गुणवत्ता नियंत्रित रहेगी और रोजगार भी बढ़ेगा। प्रशिक्षण में सोलिड बेसिक प्लंबिंग, सीलिंग-टेक्निक, वाटर-सेविंग फिटिंग और मेंटेनेंस शामिल होंगे। शुक्ला का मानना है कि स्थानीय श्रम को शामिल करने से योजना का स्वामित्व भी बनता है।
5) जनजागरूकता और व्यवहार-परिवर्तन (IEC)
शौचालय बनना ही पर्याप्त नहीं—उसे नियमित रूप से उपयोग में लाना भी ज़रूरी है। स्कूलों, महिलासमूहों, नागरिक मंचों और सोशल मीडिया के ज़रिये जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे: स्वच्छता के स्वास्थ्य-लाभ, महिलाओं की सुरक्षा, बच्चों की पढ़ाई पर सकारात्मक प्रभाव आदि। समुदाय-आधारित संस्थाएँ (self-help groups, नगर पंचायत समितियाँ) इसको सक्रिय रूप से बढ़ावा देंगी।
6) निगरानी, सत्यापन और पारदर्शिता
निर्माण के बाद प्रत्येक शौचालय का प्रमाण (geo-tagged फोटो, उपयोग-स्वीकृति फॉर्म, स्थानीय गवाह) रखा जाएगा। यह प्रक्रिया SBM के मानदंडों के अनुरूप होगी ताकि सरकारी अनुदान सुरक्षित रूप से जारी और ऑडिट योग्य रहे। साथ ही एक सार्वजनिक पोर्टल/लोकल टोल-फ्री नंबर से नागरिक शिकायत/प्रगति-जाँच संभव होगी।
7) रख-रखाव और दीर्घकालिक संचालन
शौचालय के निर्माण के साथ ही रख-रखाव योजना भी चाहिए: नल/पम्प की मरम्मत, सफाई, रसोई-नालियों का बंद होना आदि। जहां आवश्यक हो, सामुदायिक मेंटेनेंस मॉडल (सँभालने के लिए स्थानीय कमेटी या निजी ठेकेदार) अपनाया जाएगा। सार्वजनिक शौचालयों के लिए नगर निगम के साथ O&M (Operation & Maintenance) समझौते किए जाएंगे।
8) जल आपूर्ति का समेकन (Har Ghar Jal)
शौचालय का वास्तविक लाभ तभी सुनिश्चित होगा जब पानी निरंतर उपलब्ध हो। रामलखन शुक्ला स्थानीय जल प्राधिकरण और Jal Jeevan Mission एवं MBMC से तालमेल रखकर ‘हर घर में पानी’ सुनिश्चित करने की पहल करेंगे — टैंकों की मरम्मत, नेटवर्क विस्तार और आपातकालीन पानी-टैंकरिंग की संगठित योजना के माध्यम से। जल-गुणवत्ता और नियमित आपूर्ति निगरानी भी प्राथमिकता होगी।
9) वित्तीय पारदर्शिता, टाइमलाइन और लक्ष्यों का प्रकाशन
प्रभाग-निवासियों के लिए स्पष्ट टाइमलाइन, बजट और प्रगति रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी — किस घर का आवेदन कब पास हुआ, निर्माण कब हुआ, सब्सिडी कितनी मिली। इससे नागरिकों का भरोसा बढ़ेगा और भ्रष्टाचार की गुंजाइश घटेगी। SBM/नगर निगम के मानकों के अनुसार नियमित ऑडिट कराए जाएंगे।
10) नागरिक भागीदारी: कैसे निवासी सहयोग कर सकते हैं
- सर्वे में सक्रिय भाग लें और सही जानकारी दें।
- यदि पात्र हों तो डिजिटल/कागजी आवेदन समय पर भरें—सब्सिडी के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करें।
- निर्माण के दौरान स्थानीय श्रमिकों को प्रोत्साहन दें और मेंटेनेंस में भाग लें।
- शिकायत या सुझाव के लिए आरक्षित हेल्पलाइन/पोर्टल का प्रयोग करें।
निष्कर्ष
रामलखन शुक्ला की यह योजना केवल एक योज़ना नहीं, बल्कि जनता-सरकार सहकार्य का मॉडल है — जहाँ सरकारी सब्सिडी, नगर निगम की व्यवस्थाएँ, जल-योजना (Har Ghar Jal) और समाज की भागीदारी मिलकर “हर घर में शौचालय” का लक्ष्य पूरा करेंगे। सही सर्वे, पारदर्शी फंडिंग, तकनीकी गुणवत्ता, व्यवहारिक जागरूकता और रख-रखाव—इन सभी के समन्वय से ही प्रभाग 11 में स्थायी स्वच्छता हासिल की जा सकती है।

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